सीबीटी तथा लिखित परीक्षा का रिजल्ट घोषित हुए बिना हो रही है स्किल परीक्षा-भगवा पार्टी ने सीबीआई डायरेक्टर को दिया ज्ञापन


अनूपपुर। प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के अनुसार कार्यकाल के अंतिम दौर में बड़े वित्तीय निर्णय तथा नियमित पदों पर भर्ती रोक दी जाती है इसके लिए अनेक गाइडलाइन भी शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जारी किया गया है। लेकिन हाल ही में हुए नॉन-टीचिंग के पद पर भर्ती के लिए आयोजित लिखित परीक्षा में बंद कंप्यूटर तथा बिना इंटरनेट के कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट का आयोजन कराया गया तथा 5000 से अधिक उम्मीदवारों द्वारा लिखित एक्जाम में 10 प्रश्नों के उत्तर को लिखा गया, सवाल यह है की जब कॉपी चेक करने वाला कोई एक्सपर्ट ही नहीं है तब 5000 कॉपियां कैसे रातों-रात चेक हो गई? तथा जब कंप्यूटर ऑन ही नहीं था तो उसमें कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट का रिजल्ट कैसे आ गया? यह मामला अभी जांच में चल रहा है। जिन पदों को फिक्सिंग कर दिया गया है उन पर भर्ती करके जाने का निश्चय कर लिया है और ताल-ठोककर भ्रष्टाचार करने का निर्णय ले लिया है। खुलेआम परीक्षा नियमों का उल्लंघन करने पर भगवा पार्टी के जिला अध्यक्ष कमलेश द्विवेदी ने आज सीबीआई डायरेक्टर प्रवीण सूद, सीबीआई एसपी जबलपुर, मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री तथा राज्यपाल को इस संदर्भ में लिखित ज्ञापन सौपा है। 

शर्मसार करने वाली घटना केन्द्रीय विवि की जाँच करेगा प्रायवेट संस्थान के निजी कर्मचारी*

कमलेश द्विवेदी ने आगे बताया की दिनांक 2 तथा 3 अक्टूबर को बिलासपुर के एक प्राइवेट संस्थान में एलडीसी, यूडीसी तथा हिंदी टाइपिस्ट सहित अनेक नॉन टीचिंग के नियमित पदों की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा के रिजल्ट घोषित हुए बिना ही स्किल टेस्ट आयोजित किया जा रहा है। सवाल यह है कि अभी लिखित परीक्षा का रिजल्ट नहीं आया है तथा विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर किसी भी प्रकार का रिजल्ट नहीं दिख रहा है तथा जो छात्र लिखित परीक्षा दिए हैं उन्हें भी समर्थ के पोर्टल पर रिजल्ट नहीं दिख रहा है तो जब रिजल्ट ही नहीं निकला तब वह कौन से फिक्सिंग वाले उम्मीदवार हैं, जिनका रिजल्ट निकल गया तथा वे 3 दिसंबर 2024 को बिलासपुर में एक प्राइवेट संस्थान एंट्रेंस कॉर्नर स्कूल उसलापुर छग में स्किल परीक्षा दे रहे हैं। गंभीर विषय है कि जनजाति विश्वविद्यालय भारत सरकार के अधीन एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है जो अब संदिग्ध-विश्वविद्यालय की भांति कार्य कर रहा है, क्योंकि अभी तक के इतिहास में नॉन टीचिंग के पदों पर भर्ती की स्किल परीक्षा विश्वविद्यालय में होते रही है। विश्वविद्यालय में अनेक प्रोफेसर उपलब्ध हैं उसके बावजूद प्राइवेट संस्थान में प्राइवेट लोगों द्वारा स्किल परीक्षा संदिग्ध परिस्थिति में क्यों ली जा रही है? ऐसा कौन सा कार्य कुलपति किए हैं जिससे हर कार्य को छुपाकर संदिग्ध ढंग से किया जा रहा है। अब तो भ्रष्टाचार की सभी लिमिट कुलपति पार कर दिए हैं। सूत्रों से यह भी चर्चा खबर में है कि एलडीसी, यूडीसी, हिंदी टाइपिस्ट जैसे पदों पर चंचल, स्नेह, अंकुर, सुश्री गुप्ता सहित अनेक नाम पहले से ही मार्केट में घूम रहे हैं जिनका चयन फिक्स कर लिया गया है और 15 नाम पहले से ही शिकायत में सीबीआई को भेजा जा चुका है जिनका चयन कुलपति नॉन टीचिंग में करने वाले है, यह 5000 युवाओं के साथ बड़ा धोखा है। 

संजय कुमार, एसके बरनवाल तथा अनुपम राजन या इनके नॉमिनी को फ़साने की साजिस

कमलेश द्विवेदी ने आगे बताया की बिल्डिंग और वित्तीय कार्यों की अनुमोदन बिल्डिंग कमेटी तथा फाइनेंस कमेटी से 2 दिसंबर को कराया जाना है तदनुसार कार्यपरिषद की बैठक 3 दिसंबर या 4 दिसंबर को आयोजित कर अपने समस्त भ्रष्टाचार, अपराध और घोटाला को इन तीनों कमेटी से पारित कराकर अपने अपराध में सबको सम्मिलित करना चाह रहे हैं, जिसमें प्रो श्रीप्रकाशमणि अपने समस्त अपराध, घोटाला, भ्रष्टाचार को पारित कराकर सब पर जिम्मेदारी डालकर अपने आप को दोष मुक्त रखना चाहते हैं. कार्यपरिषद विवि अधिनियम के विपरीत बना है, अवैध भ्रष्टाचार के कार्य को कार् परिषद से पारित कराकर कार्य परिषद के सभी सदस्यों को दोषी बनाना चाहते हैं।

सीबीआई जांच से कुलपति चयन समिति के सदस्य पर कसेगा शिकंजा

कमलेश द्विवेदी ने आगे बताया की बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी तथा उत्तर प्रदेश के पढ़ने वाले कई छात्र अब जनजाति विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बन गए हैं, विवि के अनेक शिक्षकों से प्रो एनसी गौतम पिछले 15 वर्षो से परिचित हैं तथा प्रो एनसी गौतम के संपर्क तथा कारनामों को प्रो श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी भी पिछले 5 सालों से बता रहे हैं, जिसके कारण प्रो एनसी गौतम के अनेक कारनामों भ्रष्टाचार की बिंदुवार जानकारी सीबीआई को दे दी गई है जैसा कि उनके 10 वर्षों से पूर्व परिचितों ने बताया है। विश्वविद्यालय के कुलपति फिक्सिंग का मामला बेहद गंभीर प्रकृति का सफेदपोज अपराध है क्योंकि ईमानदारी में कमी कर भ्रष्ट प्रक्रिया से चयन समिति के सदस्य अपने परिचितों को शॉर्टलिस्ट कर दिए हैं, शॉर्ट लिस्ट करने के लिए मेरिट, एकेडमीक परफॉर्मेंस, ग्राउंड पर कार्य करने वाले वैज्ञानिकों को दरकिनार कर दिया गया है, 26 में से अनेक प्रो अखिलेश कुमार पांडे, प्रो कपिल देव मिश्रा, प्रो ब्रजेश पांडे, प्रो साकेत कुशवाह, प्रो मनोज दीक्षित, प्रो मनोज कुमार अग्रवाल, प्रो शील सिंधु पांडे सहित अन्य सात ऐसे हैं जो पूर्व से ही प्रो एनसी गौतम के नजदीक रह चुके हैं, उनके आपसी संबंध की जांच और उनके कॉल रिकॉर्ड का डिटेल्स सीबीआई जाँच करेगी तो चयन समिति के सदस्य पर शिकंजा कस जायेगा।

ड्राइवर कनेक्शन से चित्रकूट ग्रामोदय के कुलपति बनने का फिक्सिंग घोटाला

कमलेश द्विवेदी ने आगे बताया की मध्य प्रदेश के तत्कालीन कांग्रेसी राज्यपाल रामनरेश यादव के बड़े बेटे के ड्राइवर मनोज यादव और मनोज के पिताजी के माध्यम से लखनऊ में राज्यपाल के बड़े सेटिंग कर चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में कुलपति बने। प्रो एनसी गौतम पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर से बर्खास्त होने का भी आरोप है, लेकिन राम नरेश यादव द्वारा इन्हें पहली बार चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में कुलपति बनाया गया तब प्रो एनसी गौतम कांग्रेसी राज्यपाल के कुलपति होते थे, राम नरेश यादव जाते ही सेटिंग से दुबारा कुलपति बनकर भाजपाई बन गए। आगरा कनेक्शन में किसी का क्लासमेट बताकर, चित्रकूट में दीनदयाल शोध संस्थान के अधिकारियों से कनेक्शन तो कभी किसी अन्य भाई साहब से कनेक्शन बनाकर ये गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर, केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड रांची तथा केंद्रीय विश्वविद्यालय गया सहित अनेक विश्वविद्यालय के चयन समिति में सदस्य / अध्यक्ष बनते रहे। वर्तमान में हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग, उदयपुर विश्वविद्यालय तथा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय में कुलपति चयन समिति के सदस्य हैं। इसके अलावा जब राज्यपाल फागू सिंह चौहान थे तब ये बिहार के अनेक विवि कुलपति चयन समिति के अध्यक्ष थे और ऐसे अनेक प्रकरण है जो सीधे सीबीआई जांच का विषय है। एक बड़ा सिंडिकेट जिसके माध्यम से कुलपति बनाया जाता है, कुलपति बनने के बाद उन कुलपतियों से कई जगह पर चंदा दिलवाए जाते हैं अवैध भर्ती कराए जाते हैं, यह सब मामला विकसित भारत के लिए बेहद घातक है तथा विश्व गुरु बनने का सबसे बड़ा रोड़ा है। इसलिए इस मामले की सीबीआई जांच के लिए सीबीआई डायरेक्टर प्रवीन सूद को प्रकरण दिया गया है। जरूरत पड़ने पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय में रिट पिटीशन भी दायर की जाएगी।

Comments