अनूपपुर जिले में पत्रकारिता: अवैध वसूली का बढ़ता दाग


चैतन्य मिश्रा:_

अनूपपुर जिले में पत्रकारिता की स्थिति चिंताजनक है, जहाँ अवैध वसूली जैसे कृत्य एक महान पेशे को कलंकित कर रहे हैं। समाज के सभी हितधारकों के लिए यह अनिवार्य है कि वे एकजुट हों और पत्रकारिता की अखंडता को बहाल करने के लिए निर्णायक कदम उठाएँ। ऐसा करने से ही पत्रकारिता अपने वास्तविक उद्देश्य को पूरा कर पाएगी और लोकतंत्र के एक सशक्त स्तंभ के रूप में अपनी भूमिका निभा सकेगी।

पत्रकारिता, जो कभी समाज का पथप्रदर्शक और स्वतंत्रता संग्राम में अन्याय के खिलाफ संघर्ष का हथियार मानी जाती थी, आज अनूपपुर जिले में अवैध वसूली और ब्लैकमेलिंग के कारण अपने मूल सिद्धांतों से भटकती नजर आ रही है। जिले में पत्रकारिता का स्तर गिरना न केवल समाज के लिए चिंताजनक है, बल्कि इस पेशे की ईमानदारी और नैतिकता पर भी सवाल खड़े करता है।आज अनूपपुर में ऐसे कई लोग हैं जो खुद को पत्रकार कहते हैं, लेकिन जिनका पत्रकारिता के मूल सिद्धांतों से कोई वास्ता नहीं है। इन कथित पत्रकारों का मुख्य उद्देश्य पत्रकारिता के नाम पर अवैध वसूली करके निजी लाभ कमाना है। हाल ही में, कोतमा के एक पत्रकार को अवैध वसूली के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया, जो इस बात का प्रमाण है कि किस प्रकार से पत्रकारिता का दुरुपयोग किया जा रहा है।अनूपपुर में अचानक पत्रकारों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुईं है, स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता के अभाव में, जिले के कई समाचार पत्रों का अस्तित्व मात्र औपचारिकता बनकर रह गया है।इस स्थिति से निपटने के लिए यह आवश्यक है कि जिले व प्रदेश के वरिष्ठ अधिमान्य पत्रकार, प्रशासन और समाज के जागरूक लोग मिलकर विचार करें। पत्रकारिता का उद्देश्य समाज में सच्चाई को सामने लाना और अन्यायपूर्ण कार्यों पर सवाल उठाना होना चाहिए, न कि अवैध तरीकों से लाभ कमाना। यदि जल्द ही इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो पत्रकार कहलाने का सम्मान भी समाप्त हो जाएगा।अनूपपुर में पत्रकारिता का पतन इस पेशे के उद्देश्यों और नैतिकता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। पत्रकारिता के वास्तविक सिद्धांतों को पुनः स्थापित करना और इसे अवैध गतिविधियों से दूर रखना सभी जागरूक नागरिकों का कर्तव्य है। ऐसा न करना समाज में न्याय और निष्पक्षता के लिए खतरा बन सकता है।अनूपपुर जिले में पत्रकारिता की स्थिति चिंताजनक है, जहाँ अवैध वसूली जैसे कृत्य एक महान पेशे को कलंकित कर रहे हैं। समाज के सभी हितधारकों के लिए यह अनिवार्य है कि वे एकजुट हों और पत्रकारिता की अखंडता को बहाल करने के लिए निर्णायक कदम उठाएँ। ऐसा करने से ही पत्रकारिता अपने वास्तविक उद्देश्य को पूरा कर पाएगी और लोकतंत्र के एक सशक्त स्तंभ के रूप में अपनी भूमिका निभा सकेगी।

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