भोपाल में 1,814 करोड़ की ड्रग्स फैक्ट्री का पर्दाफाश

भगवा पार्टी ने चार दिन पहले ही फैक्ट्री की प्रदुषण और संदिग्ध गतिविधियों को लेकर कार्यवाही के लिए भोपाल जिला कलेक्टर को लिखा था पत्र



भगवा पार्टी की शिकायत को अगर जिला प्रशासन गंभीरता से लिया होता तो गुजरात पुलिस की जगह मध्यप्रदेश शासन द्वारा कार्यवाही की जाती*    

भोपाल में अवैध ड्रग्स फैक्ट्री का भंडाफोड़ करते हुए 1,814 करोड़ रुपये की मेफेड्रोन (एमडी) ड्रग्स की जब्ती ने पूरे देश को चौंका दिया है। गुजरात एटीएस और दिल्ली नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा की गई इस संयुक्त कार्रवाई में बगरोदा औद्योगिक क्षेत्र की एक बंद फैक्ट्री में चल रहे ड्रग्स निर्माण का खुलासा हुआ। विशेषज्ञों के अनुसार, इस ड्रग्स से 18 लाख से अधिक युवाओं को नशे की लत लगाई जा सकती थी।नासिक के सान्याल बाने, भोपाल के अमित चतुर्वेदी और मंदसौर के हरीश आंजना को गिरफ्तार किया गया है। सान्याल, जो पहले से ही एक ड्रग्स मामले में सजा काट चुका था, इस फैक्ट्री में इंदौर और उज्जैन से आए कच्चे माल से रोजाना 25-30 किलो ड्रग्स का उत्पादन कर रहा था।

फैक्ट्री का रहस्य और खुलासा:

गुप्त रूप से संचालित इस फैक्ट्री का वेंटिलेशन सिस्टम सामान्य फैक्ट्रियों से अलग था, जिससे अधिकारियों को शक हुआ। गुजरात एटीएस की टीम ने एक महीने तक फैक्ट्री पर नजर रखी और छापेमारी के दौरान भारी मात्रा में तैयार और लिक्विड ड्रग्स बरामद किया।

भगवा पार्टी की शिकायत और प्रशासनिक चूक:

इस ऑपरेशन से पहले, भगवा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवाकांत शुक्ला के निर्देशन में प्रदेश अध्यक्ष शिवकुमार भार्गव ने फैक्ट्री के प्रदूषण को लेकर जिला कलेक्टर को एक पत्र लिखा था। पत्र में फैक्ट्री की संदिग्ध गतिविधियों पर जनहित में कार्रवाई की मांग की गई थी। अगर प्रशासन ने समय पर कार्रवाई की होती, तो संभवतः यह खुलासा पहले हो सकता था।यह ऑपरेशन भोपाल सहित पूरे देश में अवैध ड्रग्स नेटवर्क के खिलाफ एक बड़ी जीत है, लेकिन फैक्ट्री की संदिग्ध गतिविधियों पर समय रहते ध्यान न देने के कारण प्रशासनिक तंत्र पर सवाल खड़े हो गए हैं।