अनूपपुर। स्वामी विवेकानंद की 161वीं जयंती पर राष्ट्रीय युवा दिवस का आयोजन शासकीय महाविद्यालय पुष्पराजगढ़ में स्वामी विवेकानंद और माता सरस्वती के पुष्प-अर्पण तथा दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन पीआरटी ग्रुप आफ कॉलेज के डायरेक्टर तथा स्वावलंबी भारत अभियान के जिला समन्वयक डॉ देवेंद्रनाथ तिवारी एवं अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डी पी सार्मे ने किया। कला एवं विज्ञान संकाय के दो सौ से अधिक विद्यार्थी उपस्थित रहे। प्राचार्य डी पी सार्मे ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शहडोल विभाग के विभाग प्रचारक कमल राठौर ने युवा एवं छात्रों को संबोधित करते हुए कहा की स्वामी विवेकानंद भारत पुनरूत्थान के शिल्पकार और युवाओं के आदर्श हैं क्योंकि उनके विचार दुनिया के लिए अब भी प्रासंगिक और मार्गदर्शक हैं। वसुधैव कुटुंबकम के मार्गदर्शक सिद्धांत के साथ भारत की अध्यक्षता में जी-20 शिखर सम्मेलन की सफलता इस बात का प्रमाण है कि नेतृत्व और मार्गदर्शन के लिए दुनिया हमारी ओर देख रही है। हिन्दू धर्म को जीवन जीने की पध्दति है और हिन्दू समाज को संगठित कर भारत को परम वैभवशाली के शिखर पर ले जाने के उद्देश्य की ओर युवा एवं छात्र अग्रसर हो। व्यक्तिगत के साथ सामाजिक जीवन में उत्कृष्टता व गुणवत्ता होनी चाहिए, तभी लक्ष्यों को पा सकते हैं। हमारे पुरखों, पूर्वजों, मनीषियों व महापुरुषों ने भी गुणवत्तापूर्ण भूमिका निभाते हुए अपने ज्ञान, अनुभव व कृत्यों से सभी का मार्ग प्रशस्त किया। विश्व को धर्म और ज्ञान प्रदान करने करने वाले भारत की ओर दुनिया की निगाहें टिक गई है।
स्वामी विवेकानंद का दर्शन में स्वावलंबी भारत संकल्प शामिल था
विभाग प्रचारक कमल राठौर ने आगे कहा की विकसित विकास के विषय में स्वामी विवेकानंद का दर्शन वर्तमान समय से बिल्कुल मिलता जुलता है। भारत आत्मनिर्भरता के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है और देश के सतत विकास लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित कर रोजगार एवं उद्यमिता कौशल के साथ, समाज, देश और संपूर्ण विश्व के विकास में अग्रिम भूमिका निभाने तैयार है। स्वामी विवेकानंद आधुनिक विज्ञान और तकनीक के पक्षधर थे। स्वामी विवेकानंद ने अपने एक भाषण में कहा था कि 19वीं सदी यूरोप की थी, 20वीं सदी अमेरिका की है और 21वीं सदी भारत की होगी।
“सबके राम” दुनिया का सबसे बड़ा फिलासफी – डीन एवं आचार्य (डॉ) विकास सिंह
कार्यक्रम के बीज वक्ता केंद्रीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के कंप्यूटर विज्ञान संकाय के डीन तथा स्वावलंबी भारत अभियान, स्वदेशी जागरण मंच महाकौशल प्रांत के प्रांत-सहसंयोजक आचार्य (डॉ) विकास सिंह ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा की स्वामी विवेकानन्द की विचारधाराओं में पं. दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय से लेकर महात्मा गांधी के सर्वोदय के विचारों का समन्वय होता है और इसके साथ श्रीराम भगवान का जीवन सभी वर्ग के लिए सामाजिक समरसता का श्रेष्ठ उदाहरण है। राष्ट्रीय एकीकरण, “वसुधैव कुटुम्बकम्” के विचार के साथ “हिंदवे सोदरा सर्वे,न पतितो भवेत्” छुआछूत भेदभाव, जाति-पाति के भाव से ऊपर उठ कर कार्य की आदर्श प्रस्तुतिकरण की परिकल्पना स्वामी जी ने किया था और पहले भी श्रीराम ने सभी वर्गों के साथ समरसता का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया और केवट के साथ नदी पार जाना, शबरी के झूठे बेर खाना, हनुमान जी को गले लगाना, रावण के भाई को अपना बनाना व लंका जीत कर वापस विभीषण को सौंप देना। समाज के दोषों का निवारण, जातिभेद विकारों को दूर कर सामाजिक समरसता के गतिविधियों से समाज में फैले हुए जातिगत भेदभाव को भी समाप्त किया जा रहा है।
“स्व के जागरण” से भारत के 37 करोड़ युवा हो जाएंगे रोजगार युक्त
आचार्य (डॉ) विकास ने आगे कहा की कृषि स्वराज, कपड़ा स्वराज, आयुष स्वराज, उर्जा स्वराज, खिलौना स्वराज सहित अनेक क्षेत्र में स्थानीय संसाधन आधारित उद्यमिता विकास के रोल मॉडल से स्थानीय युवाओं को उनके स्वस्थान पर स्वरोजगार – स्वउद्यमिता प्रारंभ करने के लिए युवा अपने स्व का जागरण करते हैं तो देश के 18 वर्ष से लेकर 29 वर्ष आयु के 37 करोड़ युवा रोजगारयुक्त हो जाएंगे। स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, बीआर आंबेडकर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस या रवींद्रनाथ टैगोर की शिक्षाओं और सिद्धांतों पर विचार करते हैं, तो आप पाएंगे कि उनमें से प्रत्येक ने स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद देश को आगे ले जाने हेतु स्व के जागरण का मार्ग बताया। भारत के लोगों को अपने स्व को (खुद को) समझने की जरूरत है क्योंकि पूरी दुनिया ज्ञान के लिए भारत की ओर देख रही है। शिक्षा केवल नौकरी तक सीमित ना होकर विज्ञान और तकनीकी ज्ञान के आधार पर हो तथा शिक्षा केवल पेट पालने का साधन नहीं होना चाहिए बल्कि आध्यात्मिक ज्ञान के साथ विज्ञान और तकनीकी ज्ञान के साथ दी जाने वाली शिक्षा एक सशक्त राष्ट्र के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाती है। उनके इस दर्शन को हम वर्तमान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में देख सकते है।महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक रसायन शास्त्र (डॉ) डीके सतनामी ने स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार 'उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो।' का संकल्प युवाओं को दिलाया। स्वागत गीत नृत्य को अभिलाषा सेन, काजल गुप्ता कक्षा बीएससी द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी द्वारा किया गया। शबरी माता तथा रामलला बेहतर प्रस्तुति माया मरावी, अभिलाषा सेन, काजल गुप्ता, पूनम देवी, खिलेश्वरी, अजय दास, देवेंद्र सिंह बीएससी द्वितीय वर्ष तथा सुशीला मरावी प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं ने दिया। स्वामी विवेकानंद जी के जीवनी से संबंधित भाषण सुदामा यादव बीएस सी, प्रथम वर्ष के द्वारा प्रस्तुत किया गया lकार्यक्रम में प्रमुख रूपसे डॉ. आरके मरावी, डॉ. एस सी अवस्थी, डॉ. एचएल देवांगन, डॉ. दीपक हथिया, डॉ. सम्राट सिंह, डॉ. आषीश पटेल, रामसजीवन धुवे, श्रीमती विद्या देवांगन,सुश्री सेकाली, सुश्री कविता सिंह, सुश्री करिश्मा पड़वार, डॉ. रश्मि श्रीवास्तव, सुश्री प्रिया नामदेव, सुश्री तेजस्वी संत, मधु सिंह एवं अखिलेश समस्त स्टाफ उपस्थित रहे।