शहडोल सम्भाग की एक मात्र अनारक्षित सीट कोतमा के लिए ब्राह्मण एवं सवर्ण उम्मीदवार बीजेपी की प्राथमिकता नहीं:चैतन्य मिश्रा


अनूपपुर /भारतीय जनता पार्टी  पर वोटरों के बीच हिंदू-मुसलमान ध्रुवीकरण कराने का आरोप लंबे समय से लगता रहा है, जो लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मुसलमान उम्मीदवारों को टिकट न देने में भी साफ दिखता है. लेकिन मप्र  के मौजूदा विधानसभा चुनावों में शहडोल संभाग के जातिवार प्रतिनिधित्व के मामले में लगता है पार्टी ने आखिरकार अपनी पुरानी गलतियों की ओर ध्यान दिया है. हालांकि काफी कुछ करना बाकी है.शहडोल संभाग के लगभग पांच लाख ब्राह्मण  मतदाता जब से भाजपा में गए ,भाजपा जीतती गई और ब्राह्मण  लगातार रसातल में समाते गए आज स्थिति यह है कि कभी विंध्यप्रदेश के शान प्रथम मुख्यमंत्री पंडित शम्भूनाथ शुक्ला के समर्थक मतदाता राजनीतिक शून्यता के गाल में समा गए।शहडोल सम्भाग की इकलौती अनारक्षित सीट  कोतमा में जैसे ही भाजपा ने टिकट की घोषणा की ये बात बिलकुल प्रमाणित हो गया। ये चौथा विधानसभा चुनाव है कोतमा विधानसभा के अनारक्षित होने पर जब भाजपा ने सवर्णो  को नजर अंदाज किया है और ये बात आग की तरह सुलग रही है पूरे संभाग के सवर्ण   मतदाताओं में कि आज संभाग में ऐसा कोई विधानसभा नही जहा बिना सवर्ण मतों के भाजपा एक भी सीट जीत सके, फिर भी लगातार शिवराज की भाजपा ब्राह्मणों को हासिए पर लाने की कोशिश में सफल हुए हैं।पिछला चुनाव हारे हुए अपने खास व्यक्ति को कोतमा से तीसरी  बार टिकट दिलाकर  संभाग की सारी सीट दांव पर लगा चुकी हैं।शहडोल लोकसभा आदिवासी है इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है की संभाग बिना सवर्णों के आगे बढ़ जाएगा।कभी संभाग में तीन सीट  मुक्त हुआ करती थी और शंभूनाथ शुक्ला , रामकिशोर शुक्ला, लवकेश सिंह, लल्लू सिंह ,छोटेलाल सरावगी ,संभाग के पहचान हुआ करते थे।परंतु जब से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान  हुए भाजपा में धीरे धीरे सवर्ण हाशिए पर चले गए। ये बात आज के युवाओं में आग की तरह सुलग रहा है कि शिवराज सिंह चौहान  शहडोल संभाग के सवर्ण मतदाताओं को इतना भेदभाव आखिर क्यों कर रहे हैं।

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