मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है.रामधारी सिंह दिनकर को उद्धृत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने भारत में कोरोना वैक्सीन के टीकाकरण अभियान कार्यक्रम का शुभारंभ किया ,महीनों से कोरोना का दंश झेल रहे देश की शनिवार की सुबह नई उम्मीदें लेकर आई। 16 जनवरी से शुरू देश के 3006 केंद्रों पर एक साथ शुरू हुए विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के पहले दिन ही लगभग 1.91 लाख स्वास्थ्य कर्मियों व सफाई कर्मियों को टीका लगाया गया। कोरोना से जंग में ये अग्रिम पंक्ति के योद्धा रहे हैं।पहले दिन टीकाकरण में 16 हजार 755 वैक्सीन लगाने वालेq शामिल हुए, स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुशार मध्य प्रदेश में 6739, बिहार में 16401, आंध्र प्रदेश में 16963, यूपी में 15975, गुजरात में 8557, असम में 2721 और पंजाब में 1200 लोगों को वैक्सीन दी गई. छत्तीसगढ़ में 4985, हरियाणा में 4656, हिमाचल प्रदेश में 1408, जम्मू-कश्मीर में 1954 और झारखंड में 2897 लोगों को टीका लगाया गया. इसके अलावा कर्नाटक में 12637, महाराष्ट्र में 15727, राजस्थान में 9279 और ओडिशा में 8675 लोगों को वैक्सीन दी गई. इसके साथ ही लाखों जिंदगियां और रोजगार लीलने वाली इस महामारी के खात्मे की उम्मीद जगी है। मंत्रालय के अनुसार देश का पहला टीका दिल्ली के एम्स के सफाई कर्मी मनीष कुमार को कोरोना का पहला वैक्सीन लगाया गया, वास्तव में जिस बड़े पैमाने पर हम यह अभियान शुरू कर रहे हैं, वह एक विकासशील देश के लिए किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है। इस उपलब्धि को लेकर दुनिया हमें ताकत और सम्मान की नजर से देख रही है। इसमें हमें गर्व महसूस करना चाहिए। क्योंकि भले हम शुरुआत में सिर्फ 3 करोड़ फ्रंटरनर कोविड योद्धाओं और गंभीर रूप से बीमार 50 के ऊपर लोगों के लिए इसे शुरू कर रहे हों, लेकिन इसके बाद भी हमारा यह छोटा अभियान दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले बहुत बड़ा है। वैसे भारत कोरोना संक्रमितों की दृष्टि से अमरीका के बाद दूसरे नंबर पर है। 14 जनवरी 2021 की सुबह 8 बजे तक भारत में कोरोना से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 1,05,12,093 पहुंच गई थी। इनमें से 1,01,46,763 संक्रमित लोग, संक्रमण मुक्त हो चुके थे, जबकि 1,51,727 लोगों की इसके चलते मौत हो चुकी थी। भारत में कोरोना की रिकवरी दर 14 जनवरी 2021 को बढ़कर 96.52 प्रतिशत हो गई थी और मृत्यु दर 1.44 प्रतिशत थी, जो कि दुनिया में कोरोना से हुई सबसे कम मृत्यु दरों में से एक है। भारत में कोरोना से मरने वाले लोगों का आंकड़ा ही कम नहीं है बल्कि इस तरह भी मामले हम राहत महसूस कर सकते हैं कि आमतौर पर उन में लोगों की ही सबसे ज्यादा मृत्यु हुई है, जो पहले से कई तरह की बीमारियों से पीड़ित थे, जिसमें गंभीर किडनी की समस्या से लेकर हृदय रोग और फेफड़ों की समस्या से गुजरने वाले लोग सबसे ज्यादा रहे । एक और बात देखने में आई है कि हमारे देश में कोरोना से मरने वाले लोगों की अधिकतर संख्या 60 और 65 साल से ऊपर वालों की रही है। हालांकि इसका के मतलब यह नहीं है कि कोरोना भारत के लिए त्रासदी नहीं था या कि इन हुई मौतों का गम कुछ कम है।कोरोना एक वैश्विक महामारी थी जिससे लड़ने के लिए प्रयाश भी विश्वव्यापी किया गया और आज सारा मानव समुदाय उन वैज्ञानिकों का कृतज्ञ है जिन्होंने अतंतः इस बीमारी से मुक्ति पाने में अथक प्रयास किए हैं। अब टीकाकरण लगना शुरू होने के बाद देशवाशी बेहद ही खुश हैं। यह उत्साह लोगों का मनोबल बढ़ाएगा और वे अधिक बल के साथ काम करेंगे। देश की अर्थव्यवस्था को यह पुनर्जीवित करेगा। लेकिन इस महामारी को हराने के लिए हमें अभी भी सचेत रहना होगा।अब उम्मीद यही है की कोरोना की यादें तो वर्षों तक रहेंगी, लेकिन इतिहास के पन्नो पर कहानी बनकर।
कोरोना के अंत की शुरुआत