अनूपपुर उपचुनाव में रमेश हो सकते हैं कांग्रेस के युवा चेहरा,शहडोल संभाग को मिला सकता है एक युवा आदिवासी नेता

प्रदीप यादव :-



कोरोना संकट के इस दौर में मध्य प्रदेpश की 24 सीटों पर उपचुनाव की तारीखों की घोषणा भले ही न हुई होलेकिन उससे पहले ही सियासी पारा चढ़ने लगा है. हाल ही में सत्ता गंवाने वाली कांग्रेस ने उपचुनाव की तैयारी शुरू कर दी है,कम बैक का दवा कर रही कांग्रेस ने हाल ही में एक सर्वे का हवाला देते हुए दावा किया था की २६ में से २५ सीटों पर कांग्रेस को बढ़त मिल रही है जबकि एक सीट पर काटें की टक्कर हो सकती है ,लेकिन इसके बिपरीत कांग्रेस अभी तक प्रत्याशियों का चयन नहीं कर पाईं है। बताया जा रहा है की इस बार कांग्रेस पुराणी गलतियों को न दुहराते हुए सर्वे और फीड बैक के आधार पर प्रत्याशियों का टिकट वितरण करेगी .पूर्व राजनैतिक घटनाक्रमों की पुनरावृत्ति न हो इसके लिये काग्रेस फूक फूक कर आगे बढ़ती नजर आ रही है। कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनीती प्रत्यापी चयन को लेकर है।वर्तमान कांग्रेस  में कोई भी ऐसा नेता नहीं है जो पूरे संभाग क कमान संभाल सके। चूंकि अनूपपुर में कांग्रेस दलवीर सिंह, बिसाहलाल सिंह जैसे बड़े नेताओं के नाम से जानी जाती रही है, किन्तु  वर्तमान परिदृष्य में दलवीर सिंह का परिवार व स्वयं बिसाहूलाल ने भाजपा के बैनर तले अपनी जमीन तैयार करने की जद्दोजहद में लगे हुए है। यूं तो कांग्रेस में उपचुनाव के कई दावेदार सामने आरहे हैं.लेकिन कांग्रेस को जिस चुनाव जिताऊ युवा चेहरे की तलाश  है वह रमेश  सिंह के रूप में पूरी हो सकती है।रमेश सिंह अनूपपुर विधान सभा के लिए एक जाना पहचाना नाम है  जो जिले के युवाओ के बीच में और सोशल मिडिया में तेज़ी से फेमस हो रहा है.अनूपपुर विधानसभा क्षेत्र में इन दिनों युवाओ द्वारा  "मैं भी रमेश -हम सब रमेश " के  नारों के बीच कांग्रेस का चुनावी अभियान तेजी से आगे बढ़ता नजर आ रहा है। रमेश सिंह एक  प्रशासनिक  अधिकारी है जो  अनूपपुर जिले के रामपुर खाडा के निवासी है ,और  आजकल शहडोल संभाग के जयसिंह नगर में पदस्थ है।हलाकि  रमेश सिंह अभी तक होने वाले इस चुनाव में पूरी तरह से खुलकर सामने नहीं आये है,लेकिन उनके चाहने वालों की कोई सीमा नहीं है,रमेश सिंह को उनके चाहने वाले दुसरे अजीत जोगी और दलवीर सिंह के स्वरुप में देखते है ,ऐसे में अगर कांग्रेस उन्हें अपना विधानसभा प्रयाशी चुनती है तो जाहिर है की उनका  लगभग 16 वर्षों का प्रशासनिक अनुभव का लाभ भी अनूपपुर वासियो को मिला सकता है व संभाग को एक नये आदिवासी नेतृत्व की तलाश  भी  पूरी हो सकती है। चूंकि यह चुनाव भविष्य में प्रदेश  की दिशा और दशा दोनों तय करने वाला होगा, इसलिये इस चुनाव में प्रत्याशी  चयन की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।


 


 


 


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